अपने होने और न होने के बीच
जब भी मैं देखता हूँ तुम्हें...........
तब- तब तुम्हारी हंसी पर अपने मौन को भारी पाता हूँ.
जब इस दुनिया में मेरा अस्तित्व तय हो जाएगा
और मैं जीना सीख लूँगा
तुम्हारे बगैर,
तब-तब तुम्हारी हंसी मेरे मौन पर भारी पड़ेगी.
Wednesday 28 April, 2010
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