अब हम अक्सर दूर रहते हैं, जिंदगी से उदास शिकायत करते हैं। जाने क्यों नवोदय नहीं भूलता कभी, शाम को Ground में जमघट miss करता हूँ। तुम्हारे साथ के वो पल देखता हूँ। आज हम रोज घंटों बातें करते हैं, लेकिन तुम्हारी वो ख़ामोशी आज भी सबकुछ कहती रहती है। मैं घण्टों तुम्हें देखता रहता हूँ।
Friday 23 April, 2010
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